कविता

मन की अभिव्यक्ति

अतीत मतलब गुज़रा हुआ काल।
सच.. कह रहा है मेरा मन,
अतीत को अतीत में रहने दो,
भूल गई मैं उन लम्हों को…
जो अतीत के गर्भ में चला गया,
न जाने कितने आँसुओं से….
दामन भिगोया था उस काल में,
न जाने कितनी शर्मिंदगी झेली मैंने,
उस काल मे……….,
भूल गई मैं उस अतीत को….
जो अपने दुखों से वर्तमान को,
जकड़ा हुआ है……
भूल गई मैं उन अपनों को….
जिन्होंने अपने शब्दों के खंजर ….
मेरे मासूम दिल में चुभोये…
भूल गई मैं उनके किये हुए गुनाहों को…
क्योंकि मेरा मसीहा अपनी आंखों से,
उन्हें देख रहा है….
फेर लीं निगाहें अपने उन….
बिखरे रास्तों से….
जहां हमेशा मुझे धकेला गया..
अब चुभन न बनाओ उस काल को,
जो वर्तमान में नासूर बन जाये..
भुला दिया उस अतीत को…
जहां शक के घेरे में अग्नि परीक्षा देनी पड़े,
अब नहीं हावी होने दूंगी
उस अतीत को..जहां
मन की खूबसूरती…..
वर्तमान में भी जल कर ख़ाक हो जाये,
अब जीना सीख लिया है…
इस वर्तमान में जहां…..
अपने शब्दों की महक ऐसे बिखेरूँगी….कि,
आने वाले भविष्य में
उसकी खुशबू महकती रहे,
खुशबू महकती रहे……।
— सीमा राठी

सीमा राठी

सीमा राठी द्वारा श्री रामचंद्र राठी श्री डूंगरगढ़ (राज.) दिल्ली (निवासी)