आर्यभट और भास्कराचार्य के सूत्र ‘पाइथागोरस’ प्रमेय से लिए गए हैं ?
आर्यभट और भास्कराचार्य के सूत्र पाइथागोरस आधारित हैं ?
ग्रीस गणितज्ञ पाइथागोरस, जिनका जन्मवर्ष 580 BC से 572 BC के बीच है, तो मृत्युवर्ष 500 BC से 490 BC के बीच है, जिन्होंने “कर्ण^2 = लम्ब^2 + आधार^2” प्रमेय दिया । दो भारतीय गणितज्ञों, यथा- आर्यभट, जिनका जन्मवर्ष 476 AD और मृत्युवर्ष 550 AD है और भास्कराचार्य, जिनका जन्मवर्ष 1114 AD और मृत्युवर्ष 1185 AD है, ने क्रमशः दो अग्रांकित सूत्र दिए, यथा-
●आर्यभट की खोज से :-
Sin^2® + Cos^2® = 1 (आर्यभट आधारित)
या, 4^2/5^2 = 3^2/5^2 = 1
या, p^2/h^2 + b^2/h^2 = 1
या, h^2 = p^2 + b^2 (पाइथागोरस प्रमेय)
●भास्कराचार्य की खोज से :-
(a + b)^2 = a^2 + b^2 + 2ab
या, (a + b)^2 – 2ab = a^2 + b^2
या, (4 + 3)^2 – 2.3.4 = 4^2 + 3^2
या, 49 – 24 = 16 + 9
या, 25 = 5^2
या, 16 + 9 = 5^2
या, 4^2 + 3^2 = 5^2 (जिनमें b = 4, a = b = 3 और h = 5)
यह पाइथागोरस प्रमेय आधारित है।
अस्तु, ऊपर उद्धृत तीनों गणितज्ञों में जीवनकाल को लेकर पाइथागोरस सबसे वरिष्ठ (senior) थे, एतदर्थ आर्यभट और भास्कराचार्य के ऐसे सूत्र पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem) से निःसृत है।