अप्रैल 2020 : डायरीनामा
मैंने मार्च के अंतिम सप्ताह से चाय-नाश्ता छोड़ दिया, घर के सभी सदस्यों ने दिन में एकबार और रात में एकबार ही भोजन ले रहे ! पुरानी जांता-चक्की निकाली गई, उसी से दर्रे कर व पीसकर घांटा, घांटी, दलिया, खिचड़ी, बगिया, मक्के की रोटियां, सत्तू और सब्जी में सिर्फ़ आलू व सोयाबीन ही खाद्य के रूप में भोग लग रही, क्योंकि आर्थिक कड़की हावी होने लगी थी. वैसे सर्वोत्तम आहार ‘शाकाहार’ है ! चूँकि बाहर निकलना भी नहीं था, हड़ताल के कारण वेतन बंद थे, थोड़ी-बहुत जमापूँजी 26 किलोमीटर दूर ATM रहने के कारण रुपये निकासी संभव नहीं थी, क्योंकि सभी तरह के वाहन बंद थे ! बावजूद मेरे परिवारजनों ने मास्क बनाये और दान किये तथा प्रधानमंत्री की घोषणा से पूर्व ही सभी स्रोतों और मदों लिए डेढ़ लाख रुपये मूल्य की राशि और सामग्रियां वितरित किये। प्रश्न है, यह लॉकडाउन है या आपातकाल ! स्वतंत्रता सेनानी दादाजी ने इंदिरा गांधी के आपातकाल के बारे में बताए थे, किंतु तब ‘प्रेस’ और सरकार के विरुद्ध ‘वाक अभिव्यक्ति’ में भी सेंसरशिप थी, परंतु ऐसा नरेंद्र मोदी सरकार में अबतक नहीं ! ….पर मेरे घर तक अखबार आने बंद हो गए हैं. एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी भी 3 सालों से बंद पड़ी है. समाचार सुनने के लिए एक रेडियो है. हाँ, सोशल डिस्टेंसिंग के कारण धार्मिक स्थलों में भी जाने की मनाही रही । इसी बीच प्रधानमंत्री ने फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग किये कि कोरोना नामक अदृश्य दुश्मन के विरुद्ध भारतीय एकता प्रदर्शित करने के लिए लोग 5 अप्रैल रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की सभी बत्तियों को बुझाकर घर के दरवाजे या मकान की बालकनी पर दीये, मोमबत्ती, टॉर्च या मोबाइल के फ़्लैशलाइट जलाएं, किंतु सोशल डिस्टेंसिंग यानी कम से कम एक मीटर की दूरी में रहकर ही ! राष्ट्रीय एकता सचमुच में प्रदर्शित हुई, वो भी जमकर ! लोग इसके साथ ही घंटी, शंख भी बजाए, तो अतिरेक भावना में बहकर व जोश में आकर पटाखे भी खूब छोड़े ! कुछ दिनों से बंद हुई प्रदूषण प्रकट भए ! नदियाँ भी हो चुकी थी निर्मल, किंतु बिहार के कई चैती छठव्रतियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर नदियों में सामूहिक स्नान की, तो उधर दिल्ली के तब्लीगी मरकज़ में सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन ने ऐसी जमघट की कि वहाँ उपस्थित कोरोना प्रभावित लोगों ने घर-घर वापसी कर देशभर में न केवल रोगियों की संख्या बढ़ाई, अपितु वे रोगी और उनसे सटे व प्रभावित लोग ‘मरघट’ तक पहुंच गए ! हिंदी धर्मावलम्बियों के त्योहार रामनवमी, मुस्लिम बंधुओं के त्योहार शबेबरात, जैन धर्म की महावीर जयंती, ईसाइयों के त्योहार और सिख समाज की बैशाखी पर्व भी लोगों के घर पर ही सोशल डिस्टेंसिंग में मनी ! भूख, रूमरेंट और घर-परिवार की यादें ने मजदूरों को और भी विचलित कर गए, जिसने लॉकडाउन का उल्लंघन कर बैठे ! वहीं किसानों को राहत मिली कि फसलों की कटाई, ढुलाई और बिक्री कर सकते हैं, बशर्त्तें खेत-खलिहानों और गोदामों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो ! इसी बीच 14 अप्रैल भी आई, बंगाली नववर्ष और भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती. प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में लॉकडाउन 2.0 की घोषणा भी कर बैठे, जो कि है 3 मई तक ! हालाँकि 20 अप्रैल से देश के वैसे क्षेत्रों में कुछ ढील भी रही, जहाँ पिछले 14 दिनों से कोरोना के एक भी मरीज नहीं पाए गए हैं ! सोशल डिस्टेंसिंग लिए बुजुर्गों की सेवा सहित गरीबों को भोजन कराने के लिए भी मोदीजी गए. स्वास्थ्य-संबंधी ‘एप’ भी डाउनलोड करने को कहा गया। सप्तपदी लिए मेरे परिवारजनों द्वारा गर्म पानी, हरवाकस, तुलसी आदि पौधे के पत्ते का काढ़ा वर्षभर ग्रहण किये जाते रहे हैं ! एक महत्वपूर्ण बात, सोशल डिस्टेंसिंग में शादी करके ही क्या फायदे होंगे ? आखिर सोशल डिस्टेंसिंग में शारीरिक संबंध कैसे बनेंगे ? जब हाथ मिलाने, गले लगाने, चुम्मन इत्यादि ही बंद है ! दो बार विष-विष यानी 2020 वर्ष न सही, 2021 ही सही ! सालभर बाद ही शादी कीजिए ! लोगों को शादी के लिए धैर्य रखने चाहिए ! एक पूर्व प्रधानमंत्री के पोते तक इस सोशल डिस्टेंसिंग में समारोहपूर्वक शादी कर बैठे. जब कानून बनानेवालों का परिवार ऐसे करेंगे, तो समाज के आखिरी व्यक्ति आखिर किनसे प्रेरणा लेंगे ? यह घटना अफ़सोसजनक है ! कोटा में रह रहे बिहारी छात्रों के एक विधायक अभिभावक ने लॉकडाउन के रूल को तोड़कर बच्चों को स्पेशल पास के बहाने फोरव्हीलर्स से घर ले आ गए, तो कई ऑफिसरों ने मछली पार्टी अटेंड किये ! बैंक खाते में 1,000 रुपये आने से बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग का ग्राहकों द्वारा खुलेआम उल्लंघन किये जा रहे ! शहरी क्षेत्र में पुलिसिया अंकुश लगी, किंतु देहाती क्षेत्रों दबंग और उज्जड लोग खुला खेल फर्रुखाबादी में संलग्न हो गए ! वहीं सोशल मीडिया में अपने-अपने ढंग से पोस्ट और कमेंट होते रहे ! सरकार की तरफ से गलत और भ्रामक खबरों की रोक पर अखबारों में प्रेस विज्ञप्ति धड़ल्ले से छपे. क्या लॉकडाउन या कोई नियम-परिनियम कमजोर और अनुशासित लोगों के लिए ही होते हैं ? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को 6 माह के अंदर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण नहीं किये जाने की अलग ही टेंशन है ! बिना मंत्रिमंडल के शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहकर कीर्तिमान भी स्थापित कर लिए ! अप्रैल के अंतिम सप्ताह में रमजान के महीने हैं, मौलानाओं ने लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दायरे में रहकर रोज़े के लिए आग्रह किए ! अमर शहीद कुँवर सिंह की जयंती (23 अप्रैल) और भारतरत्न सचिन के जन्मदिवस (24 अप्रैल) भी हैं इसी माह. भारतीय क्रिकेटरों व खिलाड़ियों की तरफ से मास्क पहनने और बनाने को लेकर हैशटैग मुहिम ने रंग लाई है, तो अन्य सरोकार भी अभिमत लिए हैं ! भारत में लॉकडाउन से फायदे हुए हैं.