कविता

पाटलिपुत्र

मिथिलांचल में पाटलिपुत्र-सा, कुशध्वज की रज्जधानी थी ,
अवतार वैदेही   माता जानकी, कि  स्वयं शक्ति भवानी थी।
पुष्प   पाटल  की  सुरभि  में , चंपा   भी  एक   सहेली  थी ,
कि   मैके – माँ  की  घर  में , दम   खेल  मेल’से  खेली  थी ।
चम्पक   वन  में  चमचम – सी , नगरी  चम्पकपुरी  बसी थी,
राज – दुलारे    गगन – सितारे, चकमक’से   रवि – शशि थी।
मंथन  पर  सागर  को  जहाँ ,  अमृत  और  विष देना पड़ा  ,
नीलकंठी – कल्याणकर – शिव को,विषपान क्यों लेना पड़ा ?
चम्पकपुरी  थी  सौम्य – सुन्दर , हा-हा  सत्य कैलाशपुरी थी ,
राजा  –  प्रजा  के  बीच  समन्वय , समता   न्याय – धुरी थी ।
हंसध्वज    थे   वीर   राजा ,  पर   धीर  –   गंभीर   नहीं   थे ,
श्रवण  –  शक्ति   क्षीण   उनकी ,  मंत्री  वाक्  –  पटु सही थे।
रीति – प्रीति  की  बात  समर  में ,  रेणु   ही  अणु  बनती  है ,
धर्म  के  निर्  महाप्राण में ही  , उत्तम परम – अणु  बनती  है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.