कविता

ज़िंदा है सिर्फ़ मौत

आजकल मैं श्मशान में हूँ
कब्रिस्तान में हूँ
सरकार का मुखिया हत्यारा है
सरकार हत्यारी है
अपने नागरिकों को मार रही है
सरकारी अमला गिद्ध है
नोंच रहा है मृत लाशों को
देश का मुखिया गुफ़ा में छिपा है
भक्त अभी भी कीर्तन कर रहे हैं
इस त्रासदी पर
देश की सेना पुष्प वर्षा कर रही है
बैंड बजा रही है
मैं हूँ जलाई और दफनाई
लाशें गिन रहा हूँ
रोज़ ज़िंदा होने की
शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूँ
क्या क्या गुमान था
कोई संविधान था
कोई न्याय का मंदिर था
एक संसद थी
कभी एक लोकतंत्र था
आज सभी मर चुके हैं
ज़िंदा है सिर्फ़ मौत !

— मंजुल भारद्वाज

मंजुल भारद्वाज

रंग चिंतक मंजुल भारद्वाज विगत तीन दशक से बिना किसी सरकारी,ग़ैर सरकारी या कॉर्पोरेट फंडिंग के एक पूर्णकालिक रंगकर्मी के रूप में दर्शकों के सहयोग और रचनात्मक रंग सहभागिता से रंगकर्म पर जीवित हैं. रंग सिद्दांत ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’ का सूत्रपात कर 28 वर्षों से रंगकर्म को ‘व्यक्ति,समूह,समाज और राजनैतिक चेतना’ के बदलाव के माध्यम के रूप में स्थापित कर देश-दुनिया में जन सहभागिता से रंग आन्दोलन को उत्प्रेरित कर रहे हैं. मुंबई में रहते हुए मुंबई से मणिपुर,श्रीनगर से कन्याकुमारी यानी पूरे भारत में रंग प्रशिक्षण और रंग प्रस्तुतियों से सक्रिय. रंग सिद्दांत ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’ के विभिन्न पाठ्यक्रमों पर जर्मनी,ऑस्ट्रिया,स्वीटजरलैंड,स्लोवेनिया आदि यूरोपियन देशों में और विश्व के अमेरिका, इंग्लैंड ,आस्ट्रेलिया समेतलगभग 23 देशों के रंगकर्मियों का रंग प्रशिक्षण. यूरोपीय देशों में नाटक b-7,विश्व –The World, ड्राप बाय ड्राप : वाटर नाटकों का मंचन ! एक नाटककार के रूप में अपने क्लासिक नाटक नपुंसक ,गर्भ,मैं औरत हूँ,छेडछाड क्यों,अनहद नाद- Unheard Sounds of Universe, राजगति, न्याय के भंवर में भंवरी आदि से भारत और विश्व में रंग प्रस्तुति का नया व्याकरण गढ़ा है. नाटक मेरा बचपन, द्वन्द,दूर से किसी ने आवाज़ दी, लाड़ली आदि नाटकों से शोषित और जन मुद्दों को उठा समाज परिवर्तन को उत्प्रेरित किया. नाटक से बदलाव का अद्भुत ‘मील का पत्थर है नाटक मेरा बचपन’ 12000 से ज्यादा प्रस्तुतियां और 50 हज़ार से ज्यादा बाल मज़दूरों को शिक्षा के लिए उत्प्रेरित. “थिएटर ऑफ रेलेवेंस” नाट्य सिद्धांत के सर्जक व प्रयोगकर्त्ता मंजुल भारद्वाज वह थिएटर शख्सियत हैं, जो राष्ट्रीय चुनौतियों को न सिर्फ स्वीकार करते हैं, बल्कि अपने रंग विचार "थिएटर आफ रेलेवेंस" के माध्यम से वह राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करते हैं। एक अभिनेता के रूप में उन्होंने 16000 से ज्यादा बार मंच से पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।लेखक-निर्देशक के तौर पर 28 से अधिक नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है। फेसिलिटेटर के तौर पर इन्होंने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थियेटर ऑफ रेलेवेंस सिद्धांत के तहत 1000 से अधिक नाट्य कार्यशालाओं का संचालन किया है। वे रंगकर्म को जीवन की चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाला हथियार मानते हैं। मंजुल मुंबई में रहते हैं। उन्हें 09820391859 पर संपर्क किया जा सकता है।