कविता

बोलता हूँ मैं..

मैं समाज से बोलता हूँ
दुनिया से बोलता हूँ
मनुष्य से बोलता हूँ
मेरे पास वह शक्ति नहीं
उन भेड़ियों से बोलने का
कुटिल तंत्रों के साथ लड़ने का
होने दो मुझ पर
इनके नादान परिहास
रचने दो मंत्र – तंत्र
मूढ़मतों का अट्टहास
मेरा भी अपनी जीवन शैली है
लोक मंगल का चिंतन – मंथन है
श्रम का साथी हूँ
एकांत का वासी हूँ
अंतरंग की पुकार मैं
जागरूकता से सुनता हूँ
उऋण बनूँगा नहीं
अपना कुछ जरूर जोडूँगा
अक्षरों में मैं बोलता हूँ
अक्षरों में वास करता हूँ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।