लघुकथा

लघुकथा – ज्यादा होशियार मत बनिए

मिसेज शर्मा और मिसेज वर्मा दोनों पड़ोसन के साथ साथ अच्छी मित्र भी  थी । एक दिन मिसेज शर्मा को किसी काम से बाहर  जाना था तो वह मिसेज वर्मा से अपने बेटे छोटू को देखते रहने को कहकर चली गयी।
इधर छोटू खूब खेल रहा था। सामने से उड़ रही घूल उसके पूरे शरीर को गंदा कर रहा था घूल के कुछ कण छोटू के नाक में जाते ही सुरसूरी सी महसूस हुई और वह बेतहाशा छींकने लगा इतने में वहाँ मिसेज वर्मा आ जाती हैं। छोटू को बेतहाशा छींकता देख वो समझती है कि इसे कोरोना हो गया और वह किसी चीज को हाथ नहीं लगाती यथा स्थिति बनी रहती है।
तत्पश्चात मिसेज शर्मा आ जाती है वह छोटू को गोद में लेकर उसके गंदे कपडे बदलने लगती है। मिसेज शर्मा कुछ भी नहीं छूती और जांच कराने के लिए कहती हैं । आखिर बेटे का सवाल था जाँच हुआ सभी टेस्ट हुए रिपोर्ट में कुछ नहीं आया मामूली धूलकण और पूरे 15000 रूपये खर्च हो गये।
इस घटना के बाद जब कहीं जाना होता है छोटू को साथ ले जाती है मिसेज शर्मा और मिसेज वर्मा की दोस्ती भी नहीं रही दोनों एक दूसरे से बोलती तक नहीं।
— आशुतोष 

आशुतोष झा

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