पराकाष्ठा
आज एक समाचार ने सुनीला का ध्यान आकर्षित किया-
”कोरोना वैक्सीन ट्रायल के लिए चाहिए थे 100 लोग, 1 हजार से ज्यादा की लगी लाइन.”
यह इंसानियत की पराकाष्ठा थी. कोरोना वैक्सीन तब तक नहीं बन सकती, जब तक कोरोना वैक्सीन की कामयाबी का पता न लग जाए. कोरोना वैक्सीन की कामयाबी का पता तब लगेगा, जब कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स मिलें.
एम्स की एथिक्स कमिटी से ट्रायल को मिली मंजूरी के बाद अस्पताल ने वॉलंटियर्स से आगे आने की अपील की थी. एक ट्विट के जरिए अस्पताल ने वॉलंटियर्स बनने की एक छोटी सी अपील की. उस छोटे-से ट्विट के जरिए कुछ घंटों के अंदर एक हजार से भी ज्यादा लोग एम्स से संपर्क कर चुके हैं. कोरोना वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स की परवाह किए बिना लोग कोरोना वॉलंटियर्स बनने के लिए बराबर अस्पताल से सम्पर्क अर रहे हैं. आखिर-
”हम रहें न रहें, कोरोना नहीं रहना चाहिए” है न हर भारतवासी के दिल की बात और इंसानियत की पराकाष्ठा!
इसी पराकाष्ठा से सुनीला को बरबस चार साल पहले का किस्सा याद आ गया.
विदेश में वह नई थी. बड़े घर का इंतज़ाम होने तक वह किराए के घर में ही रह रही थी. वहीं पर उसके पास एक दक्षिण भारतीय महिला ललिता काम करने लगी थी.
सप्ताह में दो दिन खाना बनाना, बच्चों को संभालना, बिजनेस के काम में हाथ बंटाने में वह उसकी पूरी सहायता करती थी. बड़े घर का इंतज़ाम होने पर उसने शिफ्टिंग में भी मदद की.
”इतने बड़े घर में आप दो बच्चों के साथ अकेली रह पाएंगी?” ललिता की चिंता थी.
”आपका साथ जो है, फिर पास में दीदी का घर भी तो है. तुम्हारे भैय्या भी आते-जाते रहते हैं.” और कोई चारा जो न था!
दीपावली का पर्व नजदीक था. इतने बड़े घर में दो बच्चों के साथ अकेले दीपावली मनानी थी. दीदी ससुराल गई हुई थीं. पतिदेव को छुट्टी नहीं मिल पा रही थी. थोड़ा अटपटा-सा लग रहा था.
”दीदी, इस बार दीपावली के दिन मैं काम पर आऊंगी. रात तक आपके साथ रहूंगी, आपके साथ दीपावली मनाऊंगी.” ललिता ने कहा.
”आपके घर में भी तो दीपावली मनेगी न!”
”दीदी हमारी दीपावली तो एक दिन पहले ही हो जाएगी, दक्षिण भारत में ऐसा ही होता है.”
ललिता ने दक्षिण भारतीय रंग देकर दीपावली को और रंगीन बना दिया था.
सुनीला को ललिता के इस रंग में इंसानियत और प्रेम की पराकाष्ठा के दर्शन हुए, जो आज भी हर वार-त्योहार पर बरकरार है.
खुशी की पराकाष्ठा-
MP में पन्नाः लॉकडाउन में खुली मजदूर की किस्मत, मिला 50 लाख का हीरा
लॉकडाउन के चलते नौकरियों से लेकर अर्थव्यवस्था तक बुरे दौर से गुजर रही है, लेकिन मध्य प्रदेश के पन्ना में मंगलवार को किस्मत खुल गई। रानीपुर खदान में आनंदी लाल कुशवाहा नामक मरीज को मंगलवार को 10.69 कैरेट का हीरा मिला। हीरे की कीमत 50 लाख रुपए से ज्यादा हो सकती है। आनंदी लाल को करीब एक सप्ताह पहले भी एक हीरा मिला था, लेकिन उसकी कीमत कम थी। दोनों हीरों को उसने सरकारी खजाने में जमा करा दिया है। जिला हीरा अधिकारी एस एन पांडे ने बताया कि हीरे की नीलामी की जाएगी। जो भी कीमत मिलेगी, उसमें से रॉयल्टी और टैक्स काटकर बाकी राशि मजदूर को दी जाएगी। आनंदी लाल ने बताया कि वह 6 महीने से साथियों के साथ हीरे की खदान में जुटा हुआ था। अब धरती मां का आशीर्वाद उसे मिल गया है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है।