7 वाजिबन कविताएँ
1.
सावन में नजर ना मिलाना
2019 में….
सावन में नजरें मिलाओगी,
तो प्यार हो जाएगी !
2020 में….
कोई दिखी नहीं,
नजर की बात तो सिर्फ
उतारने भर है !
हालात अब भी नाजुक है,
इधर भी, तो उधर भी !
2.
पत्नी की जवानी
पत्नी की उम्र
‘पति’ से 5 से 20 वर्ष तक
छोटी क्यों होती है ?
ताकि ‘पति’ जब
स्वर्गीय हो जाय,
तो उनकी पत्नी
धरती पर ‘जवान’ ही दिखे !
3.
नामर्द
मर्दवादी सोच
या नामर्दवादी चिंतन..
क्या जरूरी है ?
मर्द या नामर्द !
इक्का या दुक्का !
किनका ?
चिंतनीय दशा के उभरने से
हर कोई उनमें डूब जाते हैं,
तैरकर निकलते कोई नहीं,
क्योंकि मर्दवादी सोच में
तैरना कोई नहीं जानते !
नामर्द के सिवाय !
4.
किनके चरणस्पर्श
दादाजी को कभी नहीं देखा,
दादीजी के पैर छूते हुए !
पिताजी को भी नहीं देखा है,
माँ के चरणस्पर्श करते हुए !
यही तो है मर्दवादी सोच..
या नामर्दवादी चिंतन !
बताएंगे आप जरा तो..
या गिरी धरा तो..
5.
महामहिम कलराज मिश्र
यूपी में कल ‘राज’ थे,
अब भी राज ‘स्थान’ हैं !
और राजनीति के मिश्र तो है ही !
माननीय से महामहिम तक का सफर
प्रतिबद्धता लिए !
बिना अवरोध के,
बेखबर !
6.
गोपनीयता भंग
यह गोपनीय स्थान है,
इसतरह की सेल्फी डाल
सरकारी संस्थानों की गोपनीयता
उजागर मत कीजिये !
न ही उसे परेशानी में डालिये,
आप सरकारी सेवक होते हैं,
याद रखिये !
7.
रिंग सेरेमनी
‘रिंग’ के बदले ‘सुरक्षा’ धागे बाँधिये !
‘रिंग सेरेमनी’ क्या चीज होती है ?
एक युवक ने दूसरे युवक को रिंग पहना दिया,
दूसरे ने भी पहले को पहना दिया,
तो क्या दोनों एकलिंगी
एक-दूसरे के लिए बुक हो गए,
फिक्स्ड हो गए!
ज़िन्दगी सिर्फ ‘रिंग’ पहनाने से ही
तय नहीं होती !
ऐसा दिखावा ‘बनावटीपन’ के सिवाय
और कुछ नहीं है,
ऐसी छद्मता और अपव्यय से बचिए!