कविता

वह घर स्वर्ग होता है जहाँ होती हैं बेटियां

हर चुनौती करे हंस के स्वीकार वो होती है बेटियां,
माँ-बाप के हर सांस का अहसास करे वो होती है बेटियाँ,
गांव की पगडंडियों की डगर घर की तरफ मुड़ी रहती हैं,
बेटियां कहीं भी रहे माँ बाप से जुड़ी रहती हैं।
बेटियां घर की “परी” है कोयल सी उसकी बोली,
बेटियाँ है जिस घर में आंगन में रहे रंगोली।
होकर भी धन पराया सच्चा धन अपना,
पराया रहकर भी कर देती है पूरा माँ-बाप का सपना।
गर बेटा साथ देगा माँ-बाप को तो समाधान हैं बेटियां,
दोनों हैं प्यारे माँ-बाप के लिए बेटे और बेटियां।
माना घर का दीपक है बेटा, दो-दो घर को रोशन करती है बेटियां।
उसका घर स्वर्ग है जिसके घर होती है बेटियाँ,
टिका जिनसे परिवार वह बुनियाद हैं बेटियाँ,
एक “झलक” पाने के लिए,मन्नत और फरियाद है बेटियाँ,
तभी तो “जीवन” की संसार होती है बेटियाँ,
निर्जीव धरा पर प्यारी सी झंकार होती है बेटियां।।

गोपाल कृष्ण पटेल "जी1"

शिक्षक कॉलोनी डंगनिया रायपुर छत्तीसगढ़