कविता

आओ योग करें

आओ योग करें हम सब,
तन-मन को शुद्ध बनायें।
स्वस्थ हो सारी मानवता,
जन जागरूकता फैलायें।।

आदिकाल की थी परम्परा,
स्वस्थ रहो कर प्राणायाम।
सुबह का हो पहला काम,
योग, साधना और व्यायाम।।

भांति-भांति के हैं योगासन,
भिन्न-भिन्न हैं इनके नाम।
शरीर के हर एक हिस्से को,
मिलता इससे बहुत आराम।।

आओ सब मिलकर लें प्रण,
योगाभ्यास सभी अपनाएंगे।
ऋषियों के बताये योगसन से,
जन-जीवन समृद्ध बनाएंगे।।

— नवनीत शुक्ल

नवनीत शुक्ल

शिक्षक/सम्पादक रायबरेली-उत्तर प्रदेश मो.न.- 9451231908 शिक्षक