गीत- कुछ कह दें …
अगर तुम साथ दो तो, हम बात कुछ कह दें
कदम-दर-कदम चलो मिल, राह कुछ कह दें
हमारे दिन हमारी रात
और संगदिल इच्छाएं
बसा दे प्रेम की नगरी,
तो बात कुछ कह दें ।
अगर तुम साथ दो तो, हम बात कुछ कह दें ।।
रहोगे तुम हमसे दूर,
जो भर पूर मद में
तो पछताओगे एक दिन,
ये बात हम कह दें ।
अगर तुम साथ दो तो,हम बात कुछ कह दें ।।
तेरी खुबसूरती बैठी है,
मन में मूर्ती बन के
मेरे आराध्य तुम कह दो,
तो आरती कह दें ।
अगर तुम साथ दो तो,हम बात कुछ कह दें ।।
कलम मेरी लिखे तेरी,
कहानी और कविताएँ
ये बेपरवा हुई मुझसी,
जब चाहे कुछ कह दें… ।
अगर तुम साथ दो तो,हम बात कुछ कह दें ।
कदम-दर-कदम चलो मिल,राह कुछ कह दें ।।
— व्यग्र पाण्डे