गजल
कम जर्फो से यारी कैसी
उनसे दुनिया दारी कैसी
जो सताय दिल को तेरे
बाते उनसे प्यारी कैसी
जिनको नही तुम्हारी परवाह कोई
उनकी ये जिम्मेदारी कैसी
घुटने लगा है मेरा इक पल में ही दम
तुमने रात गुजारी कैसी
— अभिषेक जैन
कम जर्फो से यारी कैसी
उनसे दुनिया दारी कैसी
जो सताय दिल को तेरे
बाते उनसे प्यारी कैसी
जिनको नही तुम्हारी परवाह कोई
उनकी ये जिम्मेदारी कैसी
घुटने लगा है मेरा इक पल में ही दम
तुमने रात गुजारी कैसी
— अभिषेक जैन