कविता

हमसफ़र

जीवन नैया अब चल पड़ी
कभी उफान बन पड़ी
साथी क्या साथ निभाएंगे
अपना ही राग अलापेंगे
कमियां तो सब में होती है
पर, कमियां अपनी न भांति है
जीवन नैया के डगर में जो
मिलजुल कर साथ निभाएगा
खुशियां दुगनी हो जाएगी
जीवन जीना सहज होगा।
विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।