लघुकथा

दु:खी संसार 

पत्र साल दो हजार बीस के नाम…
समय- मध्य/ नवम्बर /2020
आदरणीया साल 2020 ,
             डरते हुए प्रणाम !
          तुम प्रसन्न हो या दु:खी हम नहीं जानते, पर हाँ हम सब दुखी हैं ये हमें, तुम्हें बताते हुये खेद हो रहा है ।
        जब 2019 जाने को थी तो हमने सोचा कि अब  साल बीस के आने पर जो हम हर अवस्था में उन्नीस थे अब बीस हो जायेंगे अर्थात हमारा हर क्षेत्र में उन्नति का दायरा बढ़ेगा । जिससे, आगे हमारा इक्कीस की ओर बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त हो जायेगा । और इस प्रकार हम सब पहले बीस फिर इक्कीस हो जायेंगे ।
            पर हे दो हजार बीस ! आप ऐसी आई कि हम अर्थात सम्पूर्ण संसार हर मायने में आगे की बजाय बहुत पीछे खिसक गये । मैं नहीं बताना चाहता तुम्हारे करतूतों को क्योंकि तुम उन्हें बखूबी जानती हो । अब, हम सब तो तुम्हारे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं । वैसे तो बीते हर साल कुछ खट्टे-मीठे अनुभव देकर गये पर तुम्हारे अनुभव कुछ खट्टे पर कड़वे अधिक रहे । जब दो हजार के बाद के वर्षों का इतिहास लिखा जायेगा तो तुम बुराई में सबसे सिरमौर रहोगी । अब हम नहीं चाहते कि तुम और कुछ अधिक ठहरो… और तुम्हें क्या कहूँ … तुमने तो हमें धन्यवाद देने की स्थिति में भी नहीं छोड़ा । सहमते हुए मेरी कलम के ये उद्गार स्वीकार करो – प्रस्थान करो… जिससे हम नव-वर्ष 2021 का हृदय से स्वागत कर सकें ।
      “हे दुख दायिनी, सुखहरणी दो हजार बीस कब जाओगी
       संसार अब कर रहा प्रतीक्षा दो हजार इक्कीस आने का,,
                                              आपका
                                           पीड़ित मानव
द्वारा  – व्यग्र पाण्डे

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201