दिलीप राज देव में से एक राजकपूर
भारतीय सिनेमा के चार्ली चैप्लिन रणवीर राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर 1924 को अविभाजित भारत के पेशावर (वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान)में हुआ था।मृत्यु 2 जून 1988 को 63 साल की उम्र में नयी दिल्ली में हुई। उनकी जीवन संगिनी श्रीमती कृष्णा मल्होत्रा कपूर थीं। बच्चे रणधीर कपूर,ऋतु नंदा,ऋषि कपूर, रीमा कपूर जैन और राजीव कपूर हैं। बचपन से प्रतिभाशाली राजकपूर ने मात्र 11 साल की उम्र में फिल्म इंक़िलाब में काम किया। फिल्म आग से 1948 में निर्देशन में क़दम रखा और सबसे युवा निर्देशक बने। 1948 में ही प्रोडक्शन हाउस आर के फिल्म्स की शुरुआत की। उन्होंने अभिनय के साथ साथ निर्माता निर्देशक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई। नेहरूवादी समाजवाद से प्रभावित राजकपूर ने अपनी शुरूआती फ़िल्मों प्रेम कहानियों को बड़े मादक अंदाज से परदे पर पेश किया।वे अपने समय के सबसे बड़े ‘शोमैन’ थे।भारत के साथ साथ वे सोवियत संघ और मध्य-पूर्व में बहुत लोकप्रिय थे। उनकी फ़िल्मों खासकर श्री 420 ने पूरी दुनिया में धूम मचा दुनिया में धूम मचा दी। उनकी फ़िल्मों की कहानियां मुख्य रूप से उनके जीवन से जुड़ी होती थीं और अपनी अधिकतर फ़िल्मों के नायक वे स्वयं होते थे।तीन राष्ट्रीय और 11फिल्म फेयर पुरस्कार उनके नाम से मंसूब हैं। दादा साहब फाल्के और पद्मभूषण पुरस्कार भी हासिल किये।
उनकी सुपर हिट फिल्में हैं- आवारा (1951), अनहोनी (1952), आह (1953), श्री 420 (1955), जागते रहो (1956), चोरी-चोरी (1956), अनाड़ी (1959), जिस देश में गंगा बहती है (1960), छलिया (1960), दिल ही तो है (1963),
राजकपूर पर फ़िल्माये गये गीतों में ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘आवारा हूँ’, ‘ए भाई ज़रा देख के चलो’, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, प्यार हुआ इकरार हुआ, जीना यहाँ मरना यहाँ प्रमुख हैं।