कविता

म्हारा बचपन

 

स्कूल की तख्ती
अर काली स्याही की दवात
आखर था वो बैट-गिण्डी का खैलणा
चलौ बताऊँ थामनै
म्हारै बचपन की बात

कुश्ती आलै जोर होया करदै
सबैरे उठ की खूब भाज्या करदै
कुड़तै पजामै कै जिब ठाठ थै
बाजै आगै चौकड़ी पै नाच्या करदै

पींग घाल्या करदै रूखां पै
तो बस करड़ी गांठ दैख्या करदै
बादल जिब बी सूणदै कड़कड़ांदै
हाम सारै मी की बाट दैख्या करदै

जाडै मै बेर,डाखल,कदै मूली
खाण जाया करदै
पूली बाजरै की ,ज्वार की,गिहूं की
ठा-ठा बगाया करदै
प्लान बणाया करदै टौली मै
दोफारै जोहड़ मै नहाया करदै
सबैरे सबैरे रूक्के मार-मारकी
स्कूल मै प्रार्थना गाया करदै

बात सूणदै स्याणी
कहदैं बी स्याणी
यो मेरे कानी
वो तेरे कानी
कट्ठे तोड़दै माल (मधुमक्खी का छत्ता)
माखियां कै लगांदै नहीं हाथ
चलौ बताऊँ थामनै
म्हारै बचपन की बात

गोबर ठाण का
पाणी का पीपा ल्याण का
कदै तेरा नंबर
कदै मेरा नंबर
खेलदै मिलकी सारै
लुकमछिपाई,अर काट कटंबर

अनुमान तै फालतू पाणी की बाल्टी ठा लैंदे
बाबा कहदां
रै!!!भैवगा??
मामा आया पाछै बस नूए बाट देखदै
एक रपिया किस टैम सी दैवगा

बाजरै की रोटी,टमाटर की चटणी
होया करदा भरया गलास लास्सी का
दैखदै शक्ल,मारै नकल
पेटला ऊँट
वो देख छोरा गया घास्सी का

नरा नूणी घी,खूब खाया करदै
लखमीचंद की रागनी गाया करदै
कती चमकदा होया करदा गात
चलौ बताऊँ थामनै
म्हारै बचपन की बात

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733