गीतिका/ग़ज़ल गजल अभिषेक जैन 21/12/2020 क्या सचमुच नया साल आया है मेरे दिल में आज फिर सवाल आया है हद बढ़ गया नखरा आधुनिक समय का चलने को वो इस बार नई चाल आया है भूखा था वो कल रात से गरीब मुझको तो सुबह उसका ख्याल आया है