गीत/नवगीत

तू खुद ही अपना साथी बन जा

तू खुद ही अपना साथी बन जा, नहीं अकेला रहना होगा।
विरोधियों का स्वागत कर, विरोध ही तेरा गहना होगा।।
कोई न अपना, कोई न पराया।
मित्र समझ जो है मुस्काया।
शिकायतें हैं तनाव की जननी,
शान्त चित्त रह, सुक्ख कमाया।
समस्याएं हैं प्रेयसी तेरी, इनके साथ खुश रहना होगा।
तू खुद ही अपना साथी बन जा, नहीं अकेला रहना होगा।।
स्वार्थ में बाधक जिनके बनेगा।
कोप से उनके कैसे बचेगा?
दृढ़ होकर कर्तव्य निभा तू,
काँटों में भी पुष्प खिलेगा।
पथरीले पथ कितने भी हों, जीवन नद को बहना होगा।
तू खुद ही अपना साथी बन जा, नहीं अकेला रहना होगा।।
नहीं खोज तू मित्र ओ साथी।
लालच लोभ के सभी बराती।
ईमान रूपी दुल्हन को यहाँ,
लूट रहे हैं स्वयं घराती।
झूठ की चोट भले हो गहरी, सत्यमेव जयते कहना होगा।
तू खुद ही अपना साथी बन जा, नहीं अकेला रहना होगा।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)