संवेदना
तीन सवारियाँ लिए ऑटोवाला,ऑटो को पूरी स्पीड से भगाता हुआ चला जा रहा था। किनारों से तीव्र गति से आते हवा के झोंकों और हाड़-मांस गला देने वाली ठंड से साथ में बैठा वह गरीब बच्चा बुरी तरह कांप रहा था। यह देख,नम्र स्वभाव के संवेदन शील कवि का हृदय अंदर तक पसीज गया,और मस्तिष्क में तत्काल ही एक मर्मस्पर्शी रचना ने जन्म ले लिया। इससे पहले कि वे,अपना नव सृजन सहयात्री कवि को सुनाते, उन्होंने देखा कि उनका साथी कवि, ठंड से काँपते बच्चे को अपनी शाल ओढ़ा चुका था।
अंजु गुप्ता