गीत/नवगीत

प्यार के बीज

लो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं,
जो बिछड़े गए हैं प्यार में उनको फिर हम मिलाते हैं।
दुनिया के हर शख्स के दिल में प्यार के गुलाब खिले,
जो दूजे को जितना प्यार करे उसे उतना प्यार मिले।
जो बिछड़े गए हैं प्यार में उनको फिर हम मिलाते हैं,
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं।
नफरत के दीप बुझा करके मोहब्बत का दीप जलाएं,
आओ हम मिलकर फिर से मोहब्बत का बाग लगाएं।
मोहब्बत की राहों में बाधा न हो ऐसा माहौल बनाते हैं,
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं।
लड़का-लड़की,स्त्री-पुरुष सभी को समान भाव मिले,
एक धरती के सब संतान हैं फिर काहे को कोई गिले।
प्यार ही प्यार हर जगह रहे एक ऐसा मुल्क बनाते हैं,
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं।
जिन माता-पिता ने हम सबको धरती पर जन्म दिया,
जिनके हाथों ने हम सबको पाल पोंसकर बड़ा किया।
आओ उनके चरणों में शीश नवा कर आशीष पाते हैं,
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं।
भाई-बहन,बेटा-बेटी के बीच के भेदभाव हम मिटाएं,
एक ऐसा परिवार बनाएं जहां एक समान स्नेह पाएं।
उन गुरु को कभी ना भूलना जो हमसब को पढ़ाते हैं,
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं।
चलो चलें जी हम सब मिल प्यार के बीज लगाते हैं,
जो बिछड़े गए हैं प्यार में उनको फिर हम मिलाते हैं।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433