मेरा आत्मविश्वास
तमाम उलझनों के बीच से बादल घिर कर आए हैं
हम निकल पड़े हैं अपनी राह पर कुछ साथ अपने,
कुछ पराए हैं
सलाह मशवरा था शहर का गिराने का हमें लेकिन
विश्वास है खुद पर हम तनिक भी नहीं घबराए हैं
देखकर आत्मविश्वास मेरा यह काफिला बड़ा होता गया
अब माहौल ऐसा है कि विरोधी अपने लाव लश्कर के साथ बौखलाए हैं
देख कर विजय पताका बिल्कुल नहीं मचलना है
मैंने इसके लिए न जाने कितने रुदन गीत गाए हैं