कविता

चंद्रशेखर आज़ाद

अपना नाम …….
आजाद ।
पिता का नाम ……..
स्वतंत्रता बतलाता था।
 जेल को ,
अपना घर कहता था।
भारत मां की,
जय -जयकार लगाता था।
भाबरा की ,
माटी को अमर कर।
उस दिन भारत का ,
सीना गर्व से फूला था ।
चंद्रशेखर आज़ाद के साथ ,
वंदे मातरम्………….
भारत मां की जय…….
देश का बच्चा-बच्चा बोला था।
जलियांवाले बाग की कहानी,
फिर ना दोहराई जाएगी ।
फिरंगी को ,
देने को गोली…..आज़ाद ने ,
कसम देश की खाई थी ।
भारत मां का,
जयकारा …….उस समय ,
जो कोई भी लगाता था ।
फिरंगी से वो…..तब,
बेंत की सजा पाता था ।
कहकर …….आजाद
खुद को भारत मां का सपूत ,
भारत मां की,जय -जयकार बुलाता था।
 कोड़ों  से छलनी सपूत वो
 आजादी का सपना,
 नहीं भूलाता था।
अंतिम समय में ,
झुकने ना दिया सिर ,
बड़ी शान से ,
मूछों को ताव लगाता था।
हंस कर मौत को गले लगाया था।
आज़ाद….
आज़ादी के गीत ही गाता था।।
— प्रीति शर्मा “असीम “

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]