प्रेमभाव
प्रेम ‘चीनी’ है,
जिनके बिना
‘चाय’ बेमज़ा है
और जिनके
ज्यादा सेवन से
डायबिटीज़
यानी ‘वासना’ तय है !
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स्त्री-पुरूष के बीच के प्रेम में
वस्तुत: प्रेम तो
औरत ही करती है,
पुरुष तो
प्रेम का भोग करता है ।
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पुरुष में देने का
सामर्थ्य नहीं,
वह स्त्री को
पाना चाहता है।
स्त्री को पुरुष से
समर्पण भाव नहीं मिलने पर
वे मोलभाव में लग जाती !
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किसी ने कितना करीब
कहा है-
कितना अजीब है,
दिलों की बात करता है
जमाना;
पर मुहब्बत आज भी,
चेहरों से शुरू होती है !
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प्रेम में भावों,
संवेदनाओं
और साँसों का
निवेश जरूरी है !