धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

शिव से शव तक

शिव महिमा का बखान शब्दभावों में जितना भी किया जाय कम है।
परंतु मेरे समझ में जो आया वह ये कि आदि से अंत तक बस शिव ही शिव है।जीवन भर हम शिव मय ही रहते हैं ,शिव के बगैर जीवन असंभव है। शिव = यानि शव + शक्ति (प्राण)।
जब तक हमारी साँसें चलती हैं (हममें प्राण रहते हैं) हम सभी शिव और शिव ही हैं।मात्र ‘इ’ यानि शक्ति का प्रभाव, असर ही है कि इससे युक्त होकर हमरा शव (शरीर) शिव (जीवंत) हो जाता है और ज्यों ही यह ‘इ’ रूपी शक्ति शिव (जीवंतता) से पृथक हो जाती है यानी जीवंतता से दूर हो जाती है तब हम पुन: शिव से शव हो जाते हैं।
इससे बड़ी महिमा और क्या हो सकती है कि हम सभी शिव हैं परंतु तभी तक जब तक ‘इ’ बरकरार है।बस ‘इ’ हटा और ‘शिव’अर्थात हम ‘शव’ बन जाते हैं।
जय शिवशंकर, जय भोलेनाथ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921