गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल – मैं बनी हूँ राधिका

साधना  करने लगी  हूँ , बन गयी हूँ साधिका
कृष्ण  तुमको  मान  बैठी मैं बनी हूँ  राधिका,
भाव  मन  के शब्द बनके आ गये पन्नों पे यूँ
बज रही है  बांसुरी  बनने  लगी  हूँ  वादिका,
तुम बसे हर रोम में हर  साँस की धुन में  मेरी
बिन सुरों,लय,साज के बनने लगी हूँ गायिका,
तज  रही  इच्छा  सभी मैं बस तुम्हारी चाह है
जोड़कर  ये  नाम  तुमसे  मैं  बनी  हूँ  तारिका,
साथ  तेरा जो  मिला ये मन तुम्हीं से बँध गया
इक़  नज़र  तेरी  पड़ी तो  बन गयी मैं सारिका,
पल सभी इस ज़िंदगी के ख़ुशनुमा हों साथ में
तेरी  है  तेरी  रहेगी  हर  जनम  ये  नायिका।।
— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com