गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मेरा तुमसे और तुम्हारा मुझसे कहीं कोई वास्ता रहा होगा।
यूं बिछड़ के मिलें हैं आज फिर तुमसे कोई वास्ता रहा होगा।

यादों का मुकद्दर तो न जाने क्या होता है मगर सच है;
उनका हमारी अधूरी कहानियों से कोई वास्ता रहा होगा।

ख्वाबों में भी हम चाह कर किसी को बुला नहीं सकते फिर;
ज़िंदगी में जो होता है उसका लेखा पहले से कोई वास्ता रहा होगा।

ख्वाहिशें जितना भी हमें कुछ करने को प्रेरित करें मगर;
पूरी होती ख्वाहिश जो सहज ही उसका जीवन में कोई वास्ता रहा होगा।

दिल तो दिल है बात बेबात सहम जाता है कभी तो यूंही;
दिमाग सोच के करता है सब इसका असलियत से कोई वास्ता रहा होगा।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |