कविता

इन्कलाब का नारा.

दिलों में जुनून है
और जुबां पे इन्कलाब
सलामी के लिए उमड़ा है
बादलों का ये सैलाब …
याद करके बलिदान तुम्हारा
जश्न में डूबा है वतन सारा
हर जुबां पे होगा
इन्कलाब का नारा…
जोश में भीगा है रक्त हमारा
आज इंकलाबियों से सजेगा घर हमारा..
दिलों में जूनून होगा
और जुबाँ पे इन्कलाब का नारा …
इन्कलाब का नारा…
इन्कलाब का नारा…

शहीद दिवस के अवसर पर भगत सिंह, सुखदेव , राजगुरु, की शहादत को शत शत सलाम !

— के एम् भाई

 

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826