आसमान से भी ऊंची है कविता
आसमान से भी ऊंची है कविता,
सागर से भी गहरी है कविता,
लेखनी की धार है कविता,
मखमली चाँदनी सी है कविता।
फूलों की खूशबू सी है कविता,
तितलियों का झुण्ड है कविता,
भैरों का गुन-गुन है कविता,
कवि की कल्पना है कविता।
सरस्वती की वाणी है कविता,
शब्दों की माला है कविता,
जीवन में उमंग लाती है कविता,
कवि का प्राण होती है कविता।
मन की बात बताती है कविता,
भावों की संवेदनाओं है कविता,
निर्झरणी सरिता सी है कविता,
रस , अलंकार युक्त होती कविता।
अक्षरों के मोती होती है कविता,
हृदय को छू जाती है कविता,
जीवन की राह बताती है कविता,
प्रकृति का चित्रण करती है कविता।
— कालिका प्रसाद सेमवाल