कविता

जल ही जीवन

जल ही जीवन, ये सब जानें
संरक्षण पर, कोई ध्यान न दे
जंगल और हरे, वृक्ष काटें
वर्षा का जल, बर्बाद करें

अब भी यदि, जो हम न चेते
मच जाएगा, धरा पर हाहाकार
पानी की, बूंद बूंद खातिर
धरती पर, होगा घमासान

जल संसाधन की, रक्षा कर
अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस, को सफल करो
पानी की बरबादी रोको
संरक्षण मानवता, का करो

— नवल किशोरअग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई