गीत/नवगीत

अन्तिम गीत – जब आना तो खुद पढ़ लेना

याद तुम्हारी आई मुझको
एक गीत लिख दिया पत्र सा
मगर तबीयत ठीक नहीं है
वरना अभी पोस्ट कर देता
जब आना तो ख़ुद पढ़ लेना

जो जब आया याद, लिख दिया
क्रम पर ध्यान नहीं दे पाया
अभी तबीयत गड़बड़ है ना
क्रम भी गड़बड़ हो सकता है
तुम अपने ढंग से गढ़ लेना

पत्र कहूं या इसको कंगन
इसमें हैं भावों के मोती
पर हो सकता कहीं रह गया
हो कोई मोती जड़ने से
उस मोती को तुम जड़ लेना।

— डॉ. कमलेश द्विवेदी