बाल कविता

बच्चों से बतियां

बाहर कोरोना की मार
बच्चों रहना होशियार
वायरस है यह एक नन्हा सा
मगर करे छुप-छुपकर वार……

बार-बार हाथ तुम धोना
दूर रहेगा जिद्दी कोरोना
बिना काम बाहर मत जाना
कोई चीज भीतर ना लाना……

स्कूल बंद है पार्क बंद
रहना अनुशासन के पाबंद
चीजों में चिपक कर यह आता
बाहर के खाने को कर दो टाटा……

मनपसंद चीजें बनवाना
मां के हाथों का खाना खाना,
दादी नानी जो भी हो साथ
उनसे जानो इतिहास की बात…..

सुनकर अपना ज्ञान बढ़ाना
अच्छी बातों को तुम अपनाना,
नये शौक पूरे तुम करना
खाना गाना मस्ती करना……

नई कक्षा है नई किताब
ज्ञान भरा इनमें बेहिसा
घर में रहकर इनको पढ़ना
सादा सुंदर जीवन गढ़ना…..

तुम निर्भीक साहसी बच्चे
इस आफत से जरा ना डरना
हिम्मत और साहस के बल पर
इसका डटकर मुकाबला करना….

घोर मचा है अत्याचार
देखो लोग पड़े बीमार
अस्पताल में जगह नहीं है
इसकी कोई दवा नहीं है……

सावधानी ही अब तो बच्चों
सबसे बड़ा है हथियार
अपनाकर इन बातों को तुम
रखना सुरक्षित घर परिवार…।

अमृता पान्डे

मैं हल्द्वानी, नैनीताल ,उत्तराखंड की निवासी हूं। 20 वर्षों तक शिक्षण कार्य करने के उपरांत अब लेखन कार्य कर रही हूं।