हे! भोलेभंडारी
करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।।
तुम तो हो भोले भंडारी,
हो सचमुच वरदानी
भक्त तुम्हारे असुर और सुर,
हैं सँग मातु भवानी
यही कामना करता हूँ शिव,मम् जीवन में लय हो।
करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।।
लिपटे गले भुजंग अनेकों,
माथ मातु गंगा है
जिसने भी पूजा हे स्वामी,
उसका मन चंगा है
हर्ष,खुशी से शोभित मेरी,अब तो सारी वय हो।
करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।।
कालचक्र के हो तुम मालिक़,
नंदी तुमको ध्याता,
जो भी पूजे तुमको भगवन्
वह नव जीवन पाता
पार्वती के नाथ,परम शिव,तुम मेरे हृदय हो।
करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।।
कार्तिकेय,गणपति तुमसे हैं,
तुमसे ही यह जीवन
तुम हो कैलाशी,त्रिनेत्री,
करते पावन तन-मन
जीवन हो उपवन-सा मेरा,अंतस तो किसलय हो।
करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।।
— प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे