कविता

सायली छंद

प्रेम की बूँटी
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हमेशा
तैयार रहो
प्रेम की बूँटी
सूँघने को
प्रसन्नता।
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मैं
इंतज़ार करता
प्रेम का पान
करता रहता
अहोभाग्य।
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चतुर्दिश
फैला हुआ
प्रेम का बयार
बाँह पसार
समेटिए।
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बाँधिए
मजबूत गाँठ
मिले प्रेम पाश
बल मिलता
अपनापन।
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डर
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संकट
भारी है
मगर मिटेगा जरूर
आज नहीं
कल*****
हौंसला
रखना होगा
घबरा मत तू
निश्चित हारेगा
कोरोना।
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सकारात्मक
चिंतन कीजिये
जीवन खुशहाल रहेगा
सुख दुख
चलायमान।
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बहन
तू मेरी
भाई मैं तेरा
अब डर
कैसा?
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डर
लगता है
आखिर ऐसा क्यों?
पता नहीं
निश्चित।
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डरना
छोड़ो अब
हौसला भरो,लड़ो,
कबतक मुँह
चुराओगे।
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अब
डरना नहीं
कोरोना जरूर जायेगा,
चलना सीखो
समयानुकूल।
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रामभक्त हनुमान
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प्रिय
राम भक्त
वीर अंजना लाल
दूजा नहीं
कोई।
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सीता
खोज लिया
रावण तक पहुँचे
लंकादहन किया
आश्चर्य ।
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राम
लखन, भरत,
शत्रुघ्न, हनुमान सब
एक समान
प्यारे ।
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चपल
बलवान, बुद्धिमान
केसरी का लाल
रावण हैरान
असमंजस।
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जीवित
सदैव रहेंगे
धरती पर हनुमान
महसूस करते
लोग।
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भरोसा
रामभक्त पर
डरते भूत प्रेत
काँपते भागते
बचते ।
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*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921