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महात्मा बुद्ध के शिक्षाप्रद वचन

              (बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर)

●हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच
के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ
बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती।

●किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्रा से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस
आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्रा आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।

●आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईष्र्या  कीजिये, जो
दूसरों से ईष्र्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
मन और शरीर दोनों के लिए स्वास्थय का रहस्य है- अतीत पर शोक मत करो, ना ही भविष्य की चिंता
करो, बल्कि बुद्धिमानी और ईमानदारी से वर्तमान में जियो।

●शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है। यह एक ऐसा ज़हर है जो
मित्राता ख़त्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक
तलवार है जो वध करती है।

●कोई व्यक्ति इसलिए ज्ञानी नहीं कहलाता क्योंकि वह सिर्फ बोलता रहता है; लेकिन अगर वह शांतिपूर्ण,
प्रेमपूर्ण और निर्भय है तो वह वास्तव में ज्ञानी कहलाता है।

आप पूरे ब्रह्माण्ड में किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर सकते हैं जो आपसे अधिक आपके प्रेम और स्नेह के
लायक है और वह व्यक्ति आपको कहीं नहीं मिलेगा। जितना इस ब्रह्माण्ड में कोई और आपके प्रेम और
स्नेह का अधिकारी है, उतना ही आप खुद हैं।

— कु. निधि सजवान 

कु. निधि सजवान

●इतिहास विषय में UGC-NET परीक्षा उत्तीर्ण, ●UK- SET परीक्षा उत्तीर्ण, ●वर्तमान में डेनियलसन डिग्री कॉलेज ,छिंदवाड़ा, (मध्य प्रदेश) में इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद में कार्यरत हूँ। ●लेखन कार्य आरंभ करके अपने विषय से संबंधित महत्वपूर्ण लेखों को ही आप तक पहुँचाने का मुख्य उद्देश्य।

2 thoughts on “महात्मा बुद्ध के शिक्षाप्रद वचन

  • शशांक मिश्र भारती

    बहुत सुन्दर प्रयास बधाई

    • कु. निधि सजवान

      धन्यावाद सर🙏

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