गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

भूलकर दर्दो गम मिलने आओ कभी।
अपने भी दिल की हालत बताओ कभी।।
याद आती नही अब हमारी तुम्हें।
साथ जीने के वादे निभाओ कभी।।
नाम लेकर तेरा सोते है रातों में।
ख्वाबों में आओ आकर सताओ कभी।।
कैसे कटते हैं दिन अब हमारे बिना।
कैसे कटती है रातें सुनाओ कभी।।
आज की शाम बहकी हुई सी लगे।
लेके आगोश में तुम जलाओ कभी।।
तेरे दीदार को तरसती अँखियाँ।
पल दो पल संग मेरे बिताओ कभी।।
— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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