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मन की इम्युनिटी भी बढ़ाएं (कोरोना काल विशेष लेख)

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

इस भयंकर काल खंड में जिसमें की अकाल ही लोग काल-कवलित हो रहे हैं ऐसे में आवश्यकता है कि हम लोग अपने जीवन की रक्षा घर पर रहकर ही करें एवं इस प्रकार जीवन जियें जिससे की हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।

मित्रों, इन दिनों शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने और उसे सुरक्षित रखने के भरकस प्रयास किये जा रहे हैं । शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जोर-शोर से काम चल रहा है । देश-विदेश सब मानव देह की क्षमताओं को बढ़ाने में लगे हैं सब एक ही दिशा की ओर अग्रसर हैं क्योंकि सभी की समस्याएँ लगभग एक समान हैं। शारीरिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बलवर्धक, रोग निवारक औषधियों का अनुसंधान एवं निर्माण भी तेजी से चल रहा है। यह प्रसन्नता की बात है।

परन्तु दुःख इस बात का है कि शरीर से भी अत्यधिक उपयोगी ‘मन’ के आरोग्य की आवश्यकता नहीं समझी जा रही और उसके लिए कुछ कहने लायक प्रयत्न भी नहीं किया जा रहा। शारीरिक कमज़ोरी विभिन्न प्रकार के रोग एवं अकाल मृत्यु का प्रधान कारण मानसिक अवसाद व विकृतियां होती हैं। उन्हीं से प्रेरित होकर मनुष्य विकृत गतिविधियां अपनाता है और शरीर को  नुकसान पहुंचता है। ये हमारे मन में उत्पन्न दूषित विचार ही हैं जो मन को कमज़ोर कर हमें गलत मार्ग एवं गतिविधियों की ओर अग्रसर करते हैं और शरीर को विवश होकर वैसा ही करना पड़ता है जिससे आरोग्य का विनाश सामने आ खड़ा होता है।

इसके लिए मन को अनुशासित करने की आवश्यकता है । साथ ही आवश्यकता इस बात की भी है कि अच्छे तथा सकारात्मक चिंतन से अपने मन की इम्युनिटी को बढ़ाया जाए जिससे की ये मन अवसाद, तनाव, चिंता एवं भय जैसे वाइरस से बच सके । इसके लिए हमें इन दिनों अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करने पर ध्यान देना चाहिए ।

चूँकि दिनों हमारे पास पर्याप्त समय हैं और करने के लिये कोई विशेष कार्य नहीं है तो क्यों न इस समय का प्रयोग कुछ नए अनुसंधानों के लिए किया जाए।  सार्थक प्रयासों द्वारा इस कोरोना काल को हम उपलब्धियों का काल भी बना सकते हैं ।

इसके लिए कई प्रयत्न किये जा सकते हैं जैसे यदि आप शिक्षक हैं तो अपने विषयों के अतिरिक्त अन्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर उन्हें सीखने का प्रयास करें । अपनी अध्यापन शैली को और प्रभावी बनाने और विषय-वस्तु के साथ अतिरिक्त जानकारियाँ जोड़कर उसे स्तरीय ज्ञान तक लाने का प्रयत्न कर सकते हैं ।

यदि आप व्यापारी हैं तो सकारात्मक और स्वस्थ मन मस्तिष्क के साथ अब तक इस महामारी से हुए नुकसान को छोड़कर आगे की व्यावसायिक कार्य-योजना पर चिंतन करें क्योंकि जो समय और लाभ चला गया है वो आपके चिंता करने या दुखी होने से वापस आने वाला नहीं है इसलिए आगे की सोचें और पूरे उत्साह से लग जाएँ  ।

यदि आप विद्यार्थी हैं तो इन्टरनेट की सहायता से अपने भविष्य के लिए उपयोगी कार्यक्षेत्र की जानकारीयाँ प्राप्त कर उन्हें अपने माता –पिता व बड़े भाई-बहन के साथ साझा कर उस जानकारी के अन्य पक्षों के बारे में समझें ।

कक्षा दसवीं, बारहवीं एवं  में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के लिए ये विशेष समय हैं  क्योंकि आप भविष्य में जो भी  बनना चाहते हैं उसके बारे में  सोचने और उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए ये एकदम उचित समय है ।

यदि आप बुज़ुर्ग हैं तो अपने मन को ईश्वर की सेवा में लगायें ध्यान,योग प्राणायाम करें ।अपने इष्ट-मित्रों से बात करें अपने जीवन के विशेष अनुभव एवं यादों को अपने बच्चों और उनके बच्चों से साझा करें ।

यदि आप गृहणी हैं तो मैगज़ीन या इन्टरनेट की सहायता से नये-नये शुद्ध,सात्विक स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन सीखें अथवा घर में रखी अनावश्यक वस्तुओं के द्वारा आकर्षक वस्तुओं का निर्माण करें और उन्हें अपने ब्लॉग,फेसबुक ,इन्स्ताग्राम और व्हात्सप पर साझा करें । अपने दिमाग को किसी न किसी कार्य में संलग्न रखें जिससे की किसी भी प्रकार की अवांछित नकारात्मक विषय-वस्तु इसमें प्रवेश न कर सके।

मनोरंजन भी करें तो सावधानी बरतें क्योंकि आज मनोरंजन के नाम पर भी विकृत विचार परोसे जा रहे हैं । इस विषय पर हम अगले लेख में विस्तृत चर्चा करेंगे । अच्छी फिल्में, डोक्युमेंट्रीज़, फ़िल्मी गाने ,भजन ,प्रार्थना भी मन को आनंदित करने के साधन हो सकते हैं । अपने परिवारजनों के साथ मिलकर ईश्वर से हमें कोरोना जैसी भयंकर विभीषिका से निकालने की प्रार्थना भी करते रहें।

पंकज ‘प्रखर’

लेखक एवं विचारक

सुन्दर नगर,कोटा

 

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर' लेखक, विचारक, लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तम्भकार सम्पर्क:- 8824851984 सुन्दर नगर, कोटा (राज.)