भजन/भावगीत

शिव स्तुति

जय महादेव जय श्री शिवा शंकरम्।
अम्बिकानाथ,श्रीकंठ पद पंकजम्।
है जटाओं में गंगा,गले नाग हैं,
शीश पर चंद्रमा,काम का त्याग है।
शूलत्रय,डमरू,नंदी समाधी लिए,
नेत्र मस्तक हृदय हरि का अनुराग है।
भस्म तन पर रमाए सती प्रेम की,
चारुविक्रम्,कृपानिधि हे!बाघम्बरम्।
जय महादेव जय श्री शिवा शंकरम्।
अम्बिकानाथ,श्रीकंठ पद पंकजम्।
भक्त उर भक्तवत्सल का ही वास हो,
भक्ति की शक्ति से पाप का नाश हो।
तेरी भक्ति बने प्रेरणा भक्त की,
कामना,क्रोध और लोभ उपवास हो।
मानवों के हृदय में हो संवेदना,
गूंजे स्वर दीर्घ सत्यम,शिवम,सुंदरम्।
जय महादेव जय श्री शिवा शंकरम्।
अम्बिकानाथ,श्रीकंठ पद पंकजम्।
मन हो श्रद्धानवत प्राणियों के लिए,
ईर्ष्या द्वैष ना हो न दुर्भावना।
लोक कल्याण के पथ पे हों अग्रसर,
उर मे धारा सभी के हो सद्भावना।
छल की लंका जलाकर के निर्मित करो,
विश्व बंधुत्व का सेतु रामेश्वरम्।
जय महादेव जय श्री शिवा शंकरम्।
अम्बिकानाथ,श्रीकंठ पद पंकजम्।

— पंकज त्रिपाठी “कौंतेय”

पंकज त्रिपाठी कौंतेय

हरदोई-उत्तर प्रदेश