नारी शिक्षा के महत्व
नारी शिक्षा के महत्व को समझाते हुए कई विद्वानों और विचारकों ने अपना अपना मत प्रस्तुत किया है।नारी शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा महत्व रखता है।ऐसा देखा गया है कि नारी पुरातन काल से ही पुरुष कि शक्ति होती है। अगर हम मनु स्मृति के शिक्षा पर ध्यान दे तो मनु महाराज समाज के सच्चे चिंतक थे इसलिए मानवता को सबसे पहले स्थान दिए और नारी को श्रद्धा पूर्वक देखते हुए देवी का स्वरूप प्रदान किया।
पुरातन काल से ऐसा कहा जाता था कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवगण निवास करते है, परन्तु ऐसा जानते हुए भी नारी के शोषण में कमी नहीं आया, इसके उत्तर में कहा जा सकता है कि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल चुके है।
जिसके चलते हमे नारी के अंदर विद्यमान गुणों को समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
नारी आज से ही नहीं प्राचीन काल से ही सम्मान का पात्र मानी जाती है , हमारे समाज वाले भूल चुके थे कि नारी पुरुष का मित्र और सलाह की प्रतिमूर्ति है ।यह पति के लिए दासी के समान सेवा करने वाली तथा माता के समान जीवन देने वाली है।
आज इस नए युग में नारी चाहे कितनी भी सुशील क्यों न हो लेकिन उन्हें शिक्षित होना जरूरी है । अगर आज की नरिया शिक्षित नहीं है तो उसका इस युग में कोई ताल मेल नहीं माना जाएगा। हमारा नया युग पुराना युग को बहुत पीछे छोड़ चुका है, जिसके चलते नारियों में सहनशीलता के साथ साथ शिक्षा भी विद्यमान होनी चाहिए। आज नरिया पर्दा को त्याग चूकी है ,आज अशिक्षित नारी को महत्वहीन समझा जाता है। इसलिए समाज का हर एक व्यक्ति अपने अपने बेटियों और बहुओ को शिक्षित बनाना परम कर्तव्य समझ रहा है।
प्राचीन काल से देखा जाए तो हमारे समाज में नारियों की स्थिति पुरुषों से कही सुदृढ़ मानी जाती थी क्योंकि उस समय की नारी घर गृहस्थी के कार्यों में दक्ष होती हुई पति पारायण और पतिव्रता होती थी। इस योग्यता के फलस्वरूप उन्हें समाज में काफी प्रतिष्ठा मिलती थी लेकिन तब और आज में काफी अंतर आ गया है ।उस समय नारी शिक्षा का उतना महत्व नहीं था जितना की आज । उस समय नारी को नर का अनुगमिनी माना जाता था परन्तु आज नारी को शिक्षित होना ही उसकी योग्यता प्रदर्शित करता है । अतः आज का यह युग शिक्षा के प्रचार प्रसार से पूर्णतः विज्ञान का युग है।
विजया लक्ष्मी