कुण्डली/छंद

चाय दो अदरख वाली

अदरख वाली चाय से ,मन का मिटे विषाद ,
बन्दर भालू जी कभी ,ना जाने ये स्वाद,
ना जाने ये स्वाद,सदा उनको फल भाते ,
भालू पा के शहद ,ख़ुशी से धूम मचाते ,
कहें धीर कविराय ,करे जो मानव चख चख ,
उसको देना चाय ,जिसमे घुली हो अदरख।

अदरख वाली चाय से ,मन में आता जोश ,
उसकी प्यारी महक से ,मन खो देता होश ,
मन खो देता होश ,ख़ुशी से वो इठलाता ,
पीकर बढ़िया चाय ,हमेशा मन ये गाता,
जब होती बरसात ,झूमती मन की डाली ,
मन ये बोले मीत,चाय दो अदरख वाली।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328