गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल -बरसात का मौसम

तेरे नयनों का भव्य सम्मान है बरसात का मौसम।
चमकती रौशनी की शान है बरसात का मौसम।
वियोगी वेदना रोचक सुघड़ संयोग की आशा,
दिलों की आन एवं जान है बरसात का मौसम।
बहुरंगी घटाएं हैं हिंडोले हैं फुहारे हैं,
मगर कुछ समय का मेहमान है बरसात का मौसम।
आराध्य के प्रति भक्ति पराकाष्ठा बहुमूल्य,
धरती के ऊपर मेहरबान है बरसात का मौसम।
झुग्गियों के लिए अनिष्ट, चमन के वास्ते अच्छा,
कहीं शैतान कहीं भगवान है बरसात का मौसम।
कि छोटी-छोटी बूंदन की परत फुहार जब पड़ती,
तो फिर सूखे की झोली दान है बरसात का मौसम।
तेरे दो आंसूयो की भीख से डरता है यह पागल,
तेरी हंसी ऊपर कुर्बान है बरसात का मौसम।
किसी मोरन की है किलकार बोलत है कहीं कोयल,
पवन शीतल को भी परवान है बरसात का मौसम।
किसी दुल्हन से पूछें प्यार की कीमत है क्या होती,
मुहोब्बत प्यार से अनजान है बरसात का मौसम।
कहीं मल्हार की आभा कहीं इन्द्र धनुष रिमझिम,
कि सावन में गुणों की खान है बरसात का मौसम।
श्रावण तीज भैया पंचमी घूंघा नाग पंचमी,
त्यौहारों के लिए गुणवान है बरसात का मौसम।
कि भारत देश में ‘बालम’ छः ऋतुएं की महिमा है,
सरलता बज्र की पहचान है बरसात का मौसम।

— बलविन्दर ‘बालम’

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409