गीतिका
करुणा निधान करुणा दिखाने के लिए आ
इस बार हिंदुओं को जगाने के लिए आ।
म्लेच्छों ने हरण करने का षड्यंत्र रचा है
हे राम भारत मां को बचाने के लिए आ।
सेकुलर समाज से कोई उम्मीद न करना
दो रंगियों के मास्क हटाने के लिए आ।
जो खा रहे हैं देश का,गाते हैं धर्म की,
ऐसे गद्दार गण की बजाने के लिए आ।
मंदिर निर्माण में जो खलल डाल रहे हैं,
उन गिरगिटों पर कहर गिराने के लिए आ।
जो हैं तटस्थ अब भी, सिर्फ वोट के लिए,
ऐसे शिखंडियों को मिटाने के लिए आ।
अब भी न एक हुए तो मिटना भी फिक्स है
बस इतनी बात इनको बताने के लिए आ।
— सुरेश मिश्र