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आ-रक्ष-न

आप देशहित की बात कर रहे हैं या व्यक्तिहित की ! आप प्रबुद्धजन हैं, आपको इस सम्बंध में जानकारी होनी ही चाहिए- प्रथमत: आरक्षण क्या है ? ….और द्वितीयतः, आरक्षण में चिह्नित कोटियाँ ही निर्धारित क्यों हैं ?

देश में सर्वोपरि ‘संविधान’ है और संविधान में अजा (SC), अजजा (ST), अपिव (OBC) के लिए आरक्षण दिए जाने की चर्चा है, जिनमें कबतक के लिए- का कोई सीमा (वर्ष) निर्धारण नहीं है ?

संविधान कैसे बदले जाते हैं ? ….या उनमें कैसे संशोधन होंगे ?
सभी प्रक्रिया से हर प्रबुद्धजन अवगत होंगे, क्योंकि संसद के दोनों सदनों में 2/3 बहुमत के साथ आधे से अधिक राज्यों की सहमति से ही इसतरह के संशोधन कर सकते हैं, अन्यथा नहीं!

देशहित भी संविधानसम्मत है, यह भावना इसी से निःसृत है, इनसे परे नहीं ! व्यक्तिहित पर सोचना ही बेमानी है ! एक अजा (SC) के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, लोकसभाध्यक्षा बन जाने मात्र से सम्पूर्ण SC समाज के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सम्पन्नता और सुदृढ़ता की बात नहीं की जा सकती है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.