स्वास्थ्य

बरसात में बिमारियों से बचाव

हर वर्ष की तरह इस वर्ष देश में मॉनसून्स के आने की मैं बेसब्री से इंतज़ार करता हूँ। कम से कम इस भीष्म गर्मी से कुछ तो राहत मिलेगी। मेरी ही तरह देश का हर वासी बरसात की इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही रिमझिम बरसात का इंतज़ार करते हुए आसमान की और देख कर इंद्र देव से प्रार्थना करता है, ‘ हे देव , अब तो बरसो। ‘ जैसे ही मेघ बरसते है किसानो के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है और मन मयूर नाचने लगता है। पर इन राहत की बूंदों के साथ बरसात कई तरह की बीमारियां भी ले आती है।

जी हाँ, हर साल की तरह मानसून अपने साथ कई वेक्टर जनित रोग और जलजनित रोग के इलावा कई तरह की चमड़ी के रोग ले आती हैं जिंनसे देश के हर वर्ग के लोग प्रभावित हो जाते है और कई बार तो महामारी या स्थानिक के रूप में फ़ैल जाती है।

बरसात के दौरान और इसके कई दिनों के बाद तक शहर के निचले क्षेत्रों में पानी भर जाने से, टूटी सड़को में पड़े गडो में पानी भर जाने से और कंस्ट्रक्शन साइट पर गड़े खोदने से पानी खड़ा रहता है। कई दिनों तक इस पानी की निकासी न होने कारण यहाँ और घरो और दफ्तरों में कूलरों व ऐसी, घर, दफ्तर, फैक्ट्री की छत पर या कही पर खुले में कोई खाली बर्तन, बाल्टी या कंटेनर और वाहन के टायर वगैरह, यहाँ तक की पक्षियों को अनाज और पानी के मिटी के बने बर्तन में अगर कई दिनों तक पानी भरा रहता हो तो यह मच्छरों के प्रजनन का अच्छा स्त्रोत बन जाता है। मादा मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से खून चूस कर कई अन्य को डांक मार कर मलेरिया, डेंगू और चिकिनगुन्या जैसी बिमारियों फैलाते है। अगर कई दिनी तक एक छोटे सा चमच भी पानी से भरा रहे तो उसमे मच्छर अपने अंडे दे सकता है जो बाद में लार्वा और प्यूपा की स्टेज से होता हुआ और मच्छर बन जाते है।

मलेरिया, डेंगू और चिकिनगुन्या जैसी बिमारियों जो मच्छर के काटने से होती है से बचने के लिए प्रसाशन, सेहत विभाग और हम सब को मिल कर प्रभावी ढंग से मच्छरों को मारना है, उनके प्रजनन को रोकना है, तथा मच्छरों के काटने के उपाए करने होंगे। जहा शहरों तथा गॉवों में फोगिंग, बरसात के पानी की निकासी और कूड़े के ढेर को साफ़ रखने की जुमेवारी प्रसाशन, सेहत विभाग और कारपोरेशन की है, वही पर हमें भी अपने घर, फैक्टरियों, दफ्तरों में ये ध्यान देने की जरुरत है कि हम कूड़े के ढेर को जमा न होने दे और बरसात का पानी खड़ा न रहे और कही भी खुले में कोई ऐसा बर्तन, कंटेनर या वहां के टायर न हो जिनमे पानी कई दिनों तक पड़ा रहे। अगर ऐसा है तो कम से कम सप्ताह में एक बार बर्तन को खाली करे ताकि मच्छर प्रजनन न कर सके । वाटर कूलर को भी सप्ताह में एक बार खाली और साफ़ करे। इन दिनों पूरी बाजु की कमीज और टांगों को पूरी तरह देखने वाले कपडे पहने, सुबह शाम शहर सैर करते हुए मौजे और जूते पहने , रात को सोते हुए मच्छर दानी लगाए, घर में पर्दों के पीछे और कोने में मच्छर मार दवाई का स्प्रे करे, घर के अंदर और आस पास सफाई रखे। बरसात के मौसम में बाहर जाते हुए रेनकोट या छतरी लेकर जाये और बारिश के पानी में न चले।

गरर्मियों और बरसातों के मौसम के दौरान हवा में नमी बढ़ जाती है तो प्यास बड़ जाती है जिसे हम पानी या कोई अन्य पय जल से बुझाते है और अगर दूषित पानी या उस पानी के पीने से और कोई सब्ज़ी या फल धोये बिना या ऐसे ही प्रदूषित पानी से धो कर खा ले तो हो सकता है की हमें दस्त, हेपेटाइटिस, टाइफाइड और पेट की कोई अन्य इन्फेक्शन हो जाये या राउंडवर्म जैसी कीड़े से बीमार हो सकते है। अगर दस्त हो तो ओआरअस का घोल बनाकर पिए या घर में शिकंजवी, चावल का पानी और नारियल पानी अधिक मात्रा में पिए नहीं तो पानी कि कमी और इलेक्ट्रोलाइट्स असुंतलित हो सकते है।

कोरोना ने हमें बहुत कुछ समझा दिता है, जैसे हमें साफ़ सफाई और हाथ धोने की आदत। जब भी खाना खाने बैठे तो निरंतर हाथ धोये। अक्सर हम लंच या डिनर से पहले तो हाथ धोते है पर अगर हम चाय के साथ समोसे या कोई नमकीन लेते है हो हमेशा हाथ से खाने से पहले हाथ जरूर धोये या चमच का प्रयोग करे। घर में साफ़ पानी का पीने के लिए, सब्ज़ी और फल को अच्छी प्रकार से धोने के लिए, सब्ज़ी और दाल बनाने के लिए और आटा गूंथने के लिए प्रयोग करे। फ़िल्टर के पानी की जगह आप 20 मिनट्स तक पानी को उबाल कर उपयोग भी कर सकते है। पानी की टंकी को साफ़ और ढक कर रखे । बासी सब्ज़ी, सलाद व फल न खाये।

छोटी छोटी बाते और बचाव के उपायों से हम इन मौसमी बिमारियों, जो गंभीर भी हो सकती है से बच सकते है। फिर भी अगर कोई तेज़ बुखार, दस्त या उलटी हो या कोई अन्य लक्षण हो तो देरी न करे, डॉक्टर की राय जरूर ले और अगर वो कहे तो प्रशिक्षण जरूर कराये।

— डॉक्टर अश्विनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।