कविता

ज़िन्दगी

कभी कभी बन जाती है
सवाल ये ज़िन्दगी..
और खुद ही दे देती है
जबाब भी ये ज़िन्दगी..!!
बेहद हंसाती है कभी
ये ज़िन्दगी..
और फिर कभी कभी
बहुत ज्यादा रुलाती भी
है ये ज़िन्दगी..!!
आसान तो बहुत लगती
है ये ज़िन्दगी..
और कभी कभी बन जाती है
  बेहद मुश्किल भी ये ज़िन्दगी..!!
बेहद अपनी सी लगती है
कभी ये ज़िन्दगी..
और हो जाती है बेगानी सी
कभी ये ज़िन्दगी..!!
 कहीं बेहद रंग बिरंगी सी
दिखती है ये ज़िन्दगी..
और कभी हो जाती है
बेहद रंगहीन सी ये ज़िन्दगी..!!
देती है कभी बेहद गहरा
प्यार ये ज़िन्दगी..
और फिर दिखाती है कभी
अथाह नफरत भी ये ज़िन्दगी..!!
बहुत ढूंढा, बहुत खोजा
समझ नही पाया कोई भी..
आखिर क्या है ऐसी क्यों
 है ये ज़िन्दगी..!!
— रीटा मक्कड़