कविता

शिक्षक  दिवस

“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर:
गुरु साक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः”

मुझे गर्व है अपने देश पर जहां गुरु को ब्रह्मा,विष्णु, महेश की संज्ञा दी जाती है, और हो भी क्यों ना. गुरु अपने प्रकाश रूपी ज्ञान से अंधकार रूपी अज्ञान को हर लेते हैं. हर उस गुरु को नमन है जिससे हम अपने जीवन में कुछ ना कुछ सीखें हैं.

आज का दिन है बड़ा महान,
अपने भावों को आप तक भेज रहे,
क्या होगा इससे बड़ा प्रमाण।
उज्ज्वल भविष्य देने वाले
हे गुरुवर तुमको प्रणाम।

व्याकरण,समीकरण,इँगलिश
हिन्दी या विषय हो भूगोल,
गुरू ना होते जीवन में तो
नम्बर आता सबमें गोल।

किताबी पाठ ही नहीं तूने दिया और भी ज्ञान,
कर्म क्षेत्र मे जिसके कारण सदैव हुआ है उत्थान,
तेरे इस बलिदान पर सदैव रहेगा मुझको अभिमान।

कर बद्ध करती हूँ मैं वन्दन,
जो भी किया अब तक ग्रहण
आने वाले कल को मै
कर दूँगी सब कुछ अर्पण।

प्रथम पाठशाला के अध्यापक,
नमन तुझे  मेरे अभिभावक,
विद्यालय के अध्यापक,

शिक्षा मिली जिनसे व्यापक,

फिर आया महाविद्यालय,
ये मन्दिर जैसे शिवालय।

जीवन ने करवट ली फिर आया ऐसा मकाम,
शिक्षकों की शिक्षा का मुझको मिला ये वरदान
नियुक्ति हुई मेरी, पाया एक अदद स्थान।

देने वाले मुझको जीवन, नित दिन करुँ तुझको नमन,
और सभी मेरे शिक्षक जो हैँ मेरे मार्गदर्शक,
आज ही सिर्फ क्योँ, हर दिन करती हुँ नत मस्तक।

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]