कविता

उड़ान

जीवन पथ में आगे ही बढ़िए
हौसले की उड़ान भरिए,
निराश होने से कुछ नहीं होने वाला।
खुद को मजबूत कीजिये
उहापोह से बाहर निकलिए
खुद में भरोसा ही नहीं
आत्मविश्वास भी आलोकित करिए।
ऊचाइयों की ओर उड़ान भरिए
न कभी कमजोर बनिए,
मंजिल कितनी भी दूर दिखे
मंजिल से पहले मत रुकिये।
उड़ान पंखों से नहीं
हौंसलों से ही होती है,
इस कहावत को सदा चरितार्थ करिए।
बस! उड़ान भरते रहिए
मन में कभी न डर भरिए,
मंजिल दूर तभी तक है
जब तक हम उड़ान नहीं भरते,
फासले कम होते जाते हैं
हममें और हमारी मंजिल के बीच
एक बार जब हम उड़ान भर लेते।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921