कविता

मोहना ! तेरी छबि को मैंने

साँसों पर लिख नाम तुम्हारा
मन ही मन में झूम लिया
मोहना !!! तेरी छबि को मैंने
चितवन से ही चूम लिया
मौन निमंत्रण देती अँखियाँ
पीर हृदय में न्यारी
कदम्ब के नीचे खड़ी पुकारूँ
आजा मदन मुरारी
मन ने तुझको ढूढ़ा वर्षों
अलियों गलियों घूम लिया
साँसों पर लिख नाम तुम्हारा
मन ही मन में झूम लिया….!
 प्रीतम पावन साथ तुम्हारा
साधना है ये युगों की
वन्दन तेरा करती साधें
पुकार तू सुन ले रगों की
तेरी मुरली बना कभी तन
कभी गीत बन गूँज लिया
साँसों पर लिख नाम तुम्हारा
मन ही मन में झूम लिया ।
तुम्हे पुकारें यमुना के तट
कहती है कल -कल धारा
रास रचाओ रमनबिहारी
सँवरे  ये जीवन सारा
कभी नेह की बरखा भीगी
कभी विरह, मन भूँज लिया
साँसों पर लिख नाम तुम्हारा
मन ही मन में झूम लिया…!
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन