पितरों को नमन
वो कल थे तो आज हम हैं,उनके ही तो अंश हम हैं..
जीवन मिला उन्हीं से,उनके कृतज्ञ हम हैं..
सदियों से चलती आयी,श्रंखला की कड़ी हम हैं..
गुण धर्म उनके ही दिये,उनके प्रतीक हम हैं..
रीत रिवाज़ उनके हैं दिये,संस्कारों में उनके हम हैं..
देखा नहीं सब पुरखों को,पर उनके ऋणी तो हम हैं..
पाया बहुत उन्हीं से पर,न जान पाते हम हैं..
दिखते नहीं वो हमको,पर उनकी नज़र में हम हैं..
देते सदा आशीष हमको,धन्य उनसे हम हैं..
खुश होते उन्नति से दुखी होते अवनति से,
देते हमें सहारा,
उनकी संतान जो हम हैं..
इतने जो दिवस मनाते मित्रता प्रेम आदि के,
पितरों को भी याद कर लें,जिनकी वजह से हम हैं..
आओ नमन कर लें कृतज्ञ हो लें,
क्षमा माँग लें आशीष ले लें
पितरों से जो चाहते हमारा भला,
उनके जो अंश हम हैं..।।
— कैलाश यादव