कविता

समय

व्यर्थ बैठकर यूँ ही,

जो व्यक्ति समय गँवाता है
समय हाथ से जाने पर ,
यह लौट पुनः न आता है।
जीवन है सुख दुःख का पहिया
अनवरत चलता ही रहता है
महान वही बनता है जो
जीवन कि उहापोह से लड़ता है
हर अँधेरी रात के बाद
सूर्य सदा निकलता है
समय चक्र जब चलता है
फल कर्मो का मिलता है।
भूत भविष्य कि चिंता छोड़
वर्तमान पर ध्यान करो
प्राप्त होगी तभी सफलता
पहले अर्ज़ित ज्ञान करो
परिश्रम् ह्रदय से करने पर
मरुस्थल मे भी फूल खिल जाता है
समय हाथ से जाने पर
यह लौट पुनः न आता है।
इस दुनिया मे सबको ,
सब मेहनत से मिलता है
जो समझा है इस बात को
आगे भी वहीं बढ़ता है
समय से पहले कुछ नहीं मिलता
भाग्य से मिलता कभी न ज्यादा
संघर्ष मे सदा ही धीरज रखना
करना खुद से वादा
हासिल उसको क्या होगा
जो हर मोड़ पे सोता जाता है
केवल कर्मठ व्यक्ति ही
जीवन मे नया इतिहास रचाता है।


— ज्योतिका शाही सक्सेना

ज्योतिका शाही सक्सेना

नवोदित गीतकार कवयित्री व स्वतन्त्र लेखिका लखनऊ-उ.प्र. मो. 9935439290